भस्त्रिका-प्राणायाम
नमस्कार दोस्तों आज हम आपको भस्त्रिका-प्राणायाम के बारे
में बतायेंगे | इसके फायेदे और इसे करने का तरीका, यह एक ऐसा प्राणायाम है जिसमे
पूरी कार्यवाही आपके श्वास लेने और छोड़ने से जुड़ा है | इस प्राणायाम के लगातार
अभ्यास से आप श्वास और कफ सम्बन्धित कई सारी बीमारियों से छुटकारा पा सकते है तथा
अपने शारीर को स्वस्थ और निरोगी रख सकते है |
विधि ; सबसे पहले आप ध्यानात्मक-आसन में बैठ जाये, कमर गर्दन को एक सीध में रखे, अब आप अपने दोनों नाकछिद्रो से श्वास को धीरे-धीरे पूरा अन्दर डायफ्राम तक भर ले, तथा धीरे-धीरे श्वास को बाहर छोड़े | प्रारम्भ में 2.5sec में अन्दर लेना और उतने ही समय में श्वास को एक लाये के साथ बहार छोड़े, जिससे की बिना रुके 1min में 12बार के औसत से 5min में 60बार अभ्यास किया जा सके | इसमें कभी भी श्वास लेने की जल्दबाजी न करे और माध्यम गति से श्वास को पूरा अन्दर भरे और धीरे-धीरे बहार छोड़े | यह ‘भस्त्रिका-प्राणायाम कहलाता है |
जिसे साइनस या कफ की समस्या हो उनलोगों को पहले दायें नाकछिद्र को बंद करके बाएं नाकछिद्र से श्वास ले और छोड़े | फिर बाएं नाकछिद्र को बन्द करके दायें नाकछिद्र से श्वास को माध्यम गति से ले और छोड़े | अन्त में दोनों नाकछिद्रो से अभ्यास करे |
सावधानी:
>जिनको
High BP उन्हें तीव्र गति से भस्त्रिका नहीं करना चाहिए |
>इस प्राणायाम को करते समय जब श्वास को अन्दर भरे, तब
पेट नहीं फूलना चाहिए |
>इससे शरीर में गर्मी आती है | अतः गर्मी के दिनों में
धीमी गति से करना चाहिए |
लाभ:
1.यह सर्दी जुकाम को ठीक करता है |
2.पुराना नजला साइनस आदि समस्त काफ रोगों को दूर करता है |
3.फेफड़े को मजबूत बनता है |
4.श्वासरोग दमा को ठीक करता है |
5.रक्त को पूरा परिशुध्द करता है |
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