नेत्र-शक्ति-सञ्चालन-क्रिया
दोस्तों
नमस्कार, आज हम बात करेंगे अपने शारीर के बहुत ही खास अंग आँख की, हम सभी लगभग
शरीर के सभी अंगो के EXERCISE तो कर लेते लेकिन अपनें शरीर के सबसे महतवपूर्ण अंग आंख का EXERCISE नहीं कर पाते
है | जो की बहुत ही जरुरी है जिससे की आप सभी की आँखों की रौशनी पुरे जीवन ठीक ठाक बनी
रहे| आज के समय में चाहे वो STUDENT हो, या COMPUTER पर पुरे दिन काम करने वाला CLERK बहुत जल्द ही लोगो को कम उम्र में ही आँखों
पर चस्मा का इस्तेमाल करना पड़ता है | अगर आप इस EXERCISE को DAILY अपने जीवन में सामिल कर लेते है तो बुढ़ापे तक आपकी नेत्र- ज्योति
बनी रहेगी | तो आईये इसे करने का तरीका और इसके लाभ के बारे में जानते है |
विधि: सबसे पहले किसी भी आरामदायक इस्थिति में बैठ जाये, गर्दन
को सीधा रखकर आँखों की पुतलियों को अधिक से अधिक यथाशक्ति निचे की और ले जाएँ, अब
बिना गर्दन हिलाए पुतलियों को ऊपर ले जाएँ; इस क्रिया को धीरे-धीरे 20 से 25 बार
दोहरायें | तत्पश्चात पुतलियो को यथाशक्ति दायीं और ले जाएँ ; फिर बायीं और ले
जाएँ ; इस प्रकार धीरे-धीरे एवं सजगता के साथ 10 से 15 बार अभ्यास करे | अंत में
दोनों नेत्रों को वृताकार (गोल-गो ) घुमाएँ, आँखों के सामने काल्पनिक बड़ा वृत्त बनाकर उसकी परिधि को सजग्तापुर्वाक
देखते जाएँ; एक ओर से अभ्यास कर दूसरी और से भी अभ्यास को दुहरायें | इसे नेत्र-ज्योति
-सञ्चालन-क्रिया कहते है |
>प्रत्येक क्रिया के अभ्यास के पश्चात् थोडा समय आँखों को विश्राम जरुर दे
|
लाभ :
1.आँखों से
सम्बन्धित समस्त रोग को दूर करता है |
2.सजगता एवं
फुर्ती में विकास |
3.आँखों का
आकर्षण बढाता है |
4.अगर आप इसका
अभ्यास निरंतर करते है तो नेत्र-ज्योति बढ़कर चश्मा उतर जाता है |
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